चुप सा रहने लगा है वो
हँसता था जो कल तक
आज जैसे रोने लगा है वो
सब कुछ तो है पर जैसे
सब कुछ खोने लगा है वो
चुप सा रहने लगा है वो
कल तक थी जो रोशनी चारों और
आज उस रोशनी को ढूंढने लगा है वो
कल तक जो शाम थी उसे प्यारी
आज उसके गुज़र जाने को उतावला है वो
चुप सा रहने लगा है वो।
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